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छठी और तेरहवीं अप्रैल


समय मुझे लाखों पंजाबियोंसे मिलने और बातचीत करनेका अवसर प्राप्त हुआ था और उससे मैं इसी परिणाम पर पहुंचा हूं।


सत्याग्रहके जन्मके अलावे छठी अप्रेल अन्य दो प्रधान और महत्व पूर्ण घटनाओं के लिये चिरस्मरणीय रहेगी। इसी दिन मुसलमान और हिन्दूको एकताकी पहली गांठ बंँधी और स्वदे. शीका व्रत ग्रहण किया गया।


छठी अप्रेलने ही रौलट ऐकृपर भाषण आघात किया और उसका सदाके लिये मृत बना दिया। १३ वीं अप्रेलका स्मरण केवल इसीलिये नहीं किया जाता कि उस दिन बेगुनाहोंका रक्त नाहक बहाया गया था बल्कि इसलिये कि उस दिनकी दुर्घटनासे हिन्दू मुसलमानोंका रक्त एकही धारामें होकर बहा और हिन्दू मुस्लिम एकताकी गांठपर पक्का मुहर करता गया।


इन दो राष्ट्रीय पुण्य तिथियोका उत्सव किस प्रकार मनाना चाहिये। मेरा विनीत प्रार्थना है कि जो लोग कर सकते हों वे लोग आगामी छठी अप्रेलको ( २४ घटेका) उपवास व्रत कर ओर प्रार्थना करें तथा सात बजे शामको प्रत्येक स्थानपर सभाये करके रौलट ऐकृका विरोध किया जाये कि जब तक भारत सरकार इन अनर्गल कानूनोको रद्द नहीं कर देती प्रजाके चित्तमें शान्ति नहीं हो सकती। हम जानते हैं कि रौलट ऐक मुर्दा हो गया है अर्थात् भूलकर भी उसके प्रयोग- की चेष्टा नहीं की जायगी पर इतना ही पर्याप्त नहीं है। जब