निकाला है उससे हम इसी परिणाम पर पहुंचे हैं कि मसहयोग भान्दोलनकी नोंव जनता के हृदयमें उतनी ही नीचे तक चली गई है जितना कि ब्रिटिश शासनकी जड़।
इस स्थान पर कम्पनी के राजत्वकाल के सम्पूर्ण इतिहास का विवरण नहीं देना है। पर जब तक भारम्भकाल की अवस्था का पूरा ज्ञान न हो तब तक शासन व्यवस्था पर कोई समुचित राय नहीं कायम की जा सकती। इसीलिये यह आवश्यक प्रतीत होता है कि दो चार प्रसिद्ध अंग्रेज लेखकों का मत अदृतकर यह दिखला दें कि वे अपने देशवासियों के शासन के बारे में क्या सोचते है तथा उनका क्या मत है। भारत के प्रथम बड़े लाट लार्ड वारन हेस्टिंग्ज के विचार के समय मिस्टर एडमण्ड वर्षा ने कहा था:-"इस व्यक्तिने ब्रिटनके धवल यशमें काला धब्बा लगा दिया है और एक समृद्ध तथा सुसम्पन्न देश को पैरों तले रौंदकर उसे बियावान बना दिया है।" लाई मेकालेने-जो कम्पनी को नौकरी. में भारत में बहुत दिनों तक रह चुके थे-भारत में कम्पनीके शासन का निम्नलिखित शब्दों में वर्णन किया है :-("ल शासन- की षासे) तीस करोड़ आदमी दीन बना दिये गये। उनका जीवन प्रायः सदा (शासकोंकी) करता और निर्दवता में ही बीता है पर इस (कम्पनीके) जुल्म का कोई सानी नहीं रखता। यह सरकार इसनी सभ्य होते हुये मी वर्षरता और जुल्मकी अन्तिम सोड़ी तक पहुंच गई है। जिस मत्याचार से अंग्रेजों का बिल