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पंजावकी दुर्घटना

मालवीयजीके उस तारसे मिल जाता है जो उन्होंने मिस्टर मांटे.गूके पास १३ नवम्बरको भेजा था जिसमें लिखा था-"कांग्रेस सबकमेटी जांच के लिये जमानतपर पञ्जाबके उन प्रधान नेताओं की मुक्तिकी प्रार्थना करती है जो इस समय राजनैतिक कैदीकी हैसियतसे जेलमें बन्द है । पञ्जाब सरकारसे प्रार्थना किया गय। पर उसने उसपर कुछ भी ध्यान नहीं दिया। इसलिये लाचार होकर कांग्रेस सबकमेटीने हण्टर कमेटीको कार्रवाई में भाग लेना अथवा योग देना स्वीकार नहीं किया है।" सम्भव है कि मि मांटे। उस समयतक इसी तारके शब्दोंमें पडे रहे हों और पण्डित मालवीयजीके दूसरे तारके शब्दोंको पढ़नेकी परवा नहीं किये हों और वे उस समय तक इसी भ्रम और धोखेमें पड़े हों, कि कांग्रेस कमेटीकी मांग विना किसी शर्तके छुटकारा है । यदि यह बात सच है तो इससे मिस्टर मांटेगूकी भीषण लापरवाहीका पता लगता है। इसका परिणाम यह हुआ है कि ब्रिटमकी जनताको कुछ कालके लिये इस भ्रममें डाल दिया गया है कि कांग्रेस कमेटीकी मांग बहुत अधिक थी और इसी कारण यह कठिनाई हल नहीं हो सकी। यदि मिस्टर मांटेगूने थोड़ी तत्प-रतासे काम लिया होता तो यह घटना कभी भी उपस्थित न हुई होती।