पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/३०

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वस्था इतनी शराब थी, उसमें इतनी बेइमानी होती थी कि हेनरी फासेटने उसे "श्रादर्श बेइमानी" बतलाया है। यह अवस्था इतनी भीषण हो गई कि असहनीय यो। सरकार को भी यह बात विदित हो गई। परिणाम यह हुआ कि फासेट साहब की अध्यक्षता में आर्थिक प्रबन्ध की जांच करने के लिये पार्लिमेंट की ओर से जांच कमेटी बैठाई गई। इससे केवल मात्र लाम यह हुआ कि फासेट साहब को भारतीय मामलों में अच्छी जानकारी हो गई और उससे पिार्लमेंट में उन्होंने भारतीयों के सुधार के लिये घोर प्रयत्न किया। नहीं तो इस कमेटी का उद्देश्य नहीं हल हो सका। आर्थिक लूटको समस्या नहीं हल हुई और विदेशी शासन का प्रतिफल आर्थिक लूट ज्यों का त्यों जारी रहा।

पार्लिमेंट की उदासीनता।

मि० फासेटने अन्य नेताओं के साथ जिन्हें भारत से सहानुभूति थी घोर प्रयत्न किया पर पार्लिमेण्ट ने अपना रुख नहीं बदला। उसकी वही पुरानो नीति चलती रही। जिस नीति के बारे में मेकालेने निम्नलिखित शब्द कम्पनी के राजस्व काल के समयके लिये कहा वह नीति ब्रिटिश राजत्वकाल में भी ज्यों की त्यों बनी रही। उन्होंने कहा था :-

"भारत के प्रयके विषय में कामन्स सभाके सदस्य जो उदासीनता दिखलाते हैं वह आश्चर्यजनक है। यदि ब्रिटन में