पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/३२

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उनका गला घोंटने के लिये वर्नाक्यूलर प्रेस ऐक बनाया। इसके द्वारा उन्होंने भारतीयों का मुंह सदाके लिये बन्द कर देना चाहा जिससे कोई भी पत्र देशी भाषा में सरकार की नीति की आलोचना और निन्दा न कर सके। इस शिकों से बचने के लिये भामत बाजार पत्रिका को जो कुछ करना पड़ा वह सबको विदित होगा। पर इससे सरकार को अभीष्ट-सिद्धि नहीं हुई। अनेक पत्र अंग्रेजी में निकलने लगे। इस नये कानून का घोर प्रतिवाद किया गया। भारत के प्रत्येक नगरों में विरोध सभायें की गई। बाब सुरेन्द्र नाथ बैनर्जी सिविल सर्विस से निकाल दिये जानेके बाद नये नये राजनीतिक क्षेत्र में आये थे। उन्होंने इसके लिये घोर आन्दोलन किया।

लार्ड रिपन

भारत सरकार को नीति यह रही है कि जब कभी वह भारतीयों के मनको उत्तेजित पाती है वह कुछ ऐसा काम कर देती है जिससे उनका मिजाज ठण्ढा हो जाता है। लार्ड लिटनकी नीति से जेश और उत्तेजना फैल रही थी। ऐसे समय में लाई रिपन के समान उदासक कर आगमन हुआ। पहला काम जो उन्होंने लिया यह चकि पर प्रेस ऐक्का रद्द करना था। राष्ट्रीय खायर शासन का पारम्भ उन्होंने बानीय शासन प्रबन्ध का अधिकार देकर किया। मुनिसिपल तथा जिला बोर्ड की और उसके