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पंजाब की दुर्घटना


आक्षेप किया । इसीलिये उन्होंने जांच भी कराई। पर बडे लाटने उनकी आशाको ताकपर रख दी और जांचकी आवश्यकता ही नहीं समझी। उन्होंने गवाही विधान की एक नयीvधारा ही बना डाली कि वेश्याओं का बयान प्रमाणिक नहीं हो सकता। बड़े लाटकी बातों से यह ध्वनि निकलती है कि सताई हुई भी वेश्या को तब तक न्याय की आशा नही करनी चाहिये जबतक कि अन्य गवाहों द्वारा उनका समर्थन न हो। किसी भी तरह बड़े लाटकी बातों को मिस्टर मांटेगू ने स्वीकार कर लिया है और इस प्रकार असहयोग के काम को और भी पुष्ट कर दिया है। क्या भारतवासी एक क्षण के लिये भी उस उच्छल सरकार के साथ हाथ मिलाने को तैयार हैं जो स्त्रियों पर इस तरह के भीषण जुल्म करनेवाले अफसरों के भी अपराध को चुपचाप देख लेती है और कोई उपचार नहीं करती?

श्रीमती सरोजनी नायडू का भारतमन्त्री के नाम पत्र ।

महाशयजी, आपके मन्त्री का २४ अगस्तका पत्र आज मिला। इस पत्र के साथ भारत सरकार के भेजे तारका मसौदा भी है। मैं बाहर चली गई थी नहीं तो इसका उत्तर पहले ही भेज दिया गया होता।

आपने लिखा है कि यह समाचार अखवारों में भी दे दिया गया है। पर इसमें एक भूल की गई है। इसके साथ उन पत्रों को भी भेज देना था जो इसके पहले हमारे और आपके बीच में गुजरे