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पंजाबकी दुर्घटना


शासनका इतना जिम्मेदार अधिकारी यह बात मनमें लावे कि इस तरहके पाशविक और घृणित आचरण इतनी आसानीसे और इतनी साधारणसी बात पर परदेमें डाल दिये जा सकते हैं कि जिनके साथ इस तरहका व्यवहार किया गया है वे इतने पतित हैं कि उनकी गणना मनुष्य में की ही नहीं जा सकती।

क्या मुझे आपको पुनः स्मरण दिलाना पड़ेगा कि उन अव- सरों पर अनेक स्त्रियोंके साथ अति घृणित पाशविक आचरणका दोषारोपण किया गया है ? मैं आपका ध्यान कांग्रेस कमेटीकी रिपोर्ट के १४७ वे बयानकी ओर आकृष्ट करती हूं। भारत सरकारने अपने तारमें इसके विषयमें कुछ नही लिखा है। इसका भी नो प्रतिवाद होना चाहिये था।

भारत सरकारने लिखा है :-"औरतोंको कोतवालीके पास एक गली में खड़ा किया गया था। वह स्थान ऐसा था कि कोई भी सरकारी अफसर स्त्रियोंके साथ किसी भी तरहकी ज्यादती नहीं कर सकता था।" आप ही बताइये कि क्या ऐसी बातोपर विश्वास किया जा सकता है, विशेषकर ऐसी अवस्थामें जबकि मार्शल लाके कारण प्रजा व्याकुल हो गई थी और अधिकारी- वर्गके अत्याचारोंसे सबका प्राण निकल रहा था।

इसके अतिरिक्त यह कहना कि भारतकी छाटो जातिकी स्त्रिया अपनी शिकायतोंको इसी तरहका रूप देती हैं और भो निन्दित है क्योंकि इस तरह जान बझकर घटनावलोका छापानेको बेष्टा की गई है। मैं इस बातको पूर्ण अभिमानके साथ कह