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कसूरकी घटना


का जनतापर बहुत अच्छा प्रभाव पड़ा। वह सन्तुष्ट हो गई। वह उस घटनाको एक दम भूल ही नहीं गई बल्कि उनको (मि. मार्सडनको) और भी अधिक श्रद्धा तथा भक्तिसे देखने लगी। इससे कितनी उत्तम शिक्षा मिलती है। धैर्य पूर्ण सत्यव्यवहार. का फल सदा अच्छा हाता है। जनता ने उत्तेजनावश कोई उपद्रव न करके अधिकारीको उसकी भूल बतला दी। अधिकारी- ने अपनी भूल स्वीकार कर ली और उसके लिये काफी प्रतीकार कर डाला। सच्चाई पर अवलम्बित रहकर जो विजय प्राप्त को जाती है उसके लिये दूसरा ज्वलन्त उदाहरण अधिकारी वर्गके लिये नहीं मिल सकता। यह निर्विवाद है कि मि० मार्सडनने भारी भूल की थी। पर भूल स्वीकार करनेपर उन्हें विदित हुआ कि जनताकी दृष्टि में उनकी प्रतिष्ठा और भी बढ़ गई है। यदि भारतके अधिकारियोंमे इस तरहके और भी अफसर निकल आवे तो राजा और प्रजामें प्रेम और सद्भाव दूढ़ हाता जाय तथा इस तरहकी दुर्घटनायें उपस्थित ही न हों।

ट्रिब्यूनके सम्वाददाताका पत्र

महात्मा गान्धी डाकर परशुरामके साथ कल कसूर आये थे उन्होंने उन दोनों हिन्दुस्तानियों को देखा जिन्हें गत शुक्रवार को सबडिविजनल अफसर मि० मार्सडनने पीटा था। जो कुछ हुआ था उसके बारे में उन्होंने महात्माजीको लिखित बयान दिया। एकका नाम कादिर बख्श है। वह तरकारी बेचता है। उसे मि. मार्सडनने दुरी तरह पीटा था, क्योंकि उसपर