पाठकों को स्मरण होगा कि जिन पांच अभियुक्तोंकी अपील प्रिवी कौंसिल में की गई थी उनमेंसे ये दो भी थे और इनकी अपील खारिज कर दी गई । कारण कुछ नहीं । पण्डित मोतीलाल नेहरू ने विवेचना करके दिखला दिया है कि जितना दोष अन्य तीन अभियुक्तोंपर था उतना ही इनपर भी हो सकता है। पर जिन अन्य अभियुक्तों को पहले फांसीका दण्ड मिला था, उनके दण्ड बादका घटा दिये गये और अन्त में वे छोड़ भी दिये गये। क्या कारण है कि इन अभियुक्तोंको उनसे अलग किया गया है ? क्या यह अपीलके कारण हुआ है ? यदि उन्होंने अपील न की होती या उस उदार वकीलने उनकी अवस्थापर दया करके. अनेक कठिनाइयों को सहकर भी उनके मुकदमे की पैरवी न की होती तो उनका किसी प्रकार उबार हुआ होता और उन्हें शूलीपर चढ़ा ही दिया गया होता । पंजाबके छोटे लाट उन लोगोंपर विचारपूर्ण दया दिखला रहे हैं जिन्हें विगत अप्रेल तथा जनके बीच में यातनायें भोगनी पड़ी थीं। प्रिवी कौंसिल में अपील ग्वारिज होनेके बाद यदि वे चाहते तो उन्हें फांसीपर चढ़ा सकते थे। यद्यपि बड़े लाटने अपनी दया दिखाकर फांसीका दण्ड उठा दिया और कालोपानोका दण्ड दे दिया पर यदि सम्राट की घोषणाको पूर्ण महत्व देना है तो श्रीयुत बग्गा और रतन.चन्द भी मुक्त कर दिये जायें। साम्राज्यके लिये वे लोग लाला हरकिशनलाल पं० रामभजदत्त चौधरी आदि से अधिक भया-
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पंजाबकी दुर्घटना