सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/३४७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१८०
सुपरिण्टेण्डेण्ट का आर्डर


वह नहीं हैं । पर अब उनकी मुक्ति कठिन है। इसलिये मैं उसके विषय में कुछ नहीं कह रहा हूं। हमारा यही अनुरोध है कि उन्हें पंजाब के ही अन्तर्गत रखा जाय। और यदि वे बाहर भेज दिये गये हैं तो उन्हें लौटा लिया जाय । यदि और कुछ नहीं तो इन विचारों की दुखिया स्त्रियों की अवस्था पर तो दया की जाय । हमारा अनुरोध है कि सरकार जनता को इस बातपर स्थिर मत हो जानेके लिये अवसर न दे कि भारत सरकारके काम में विचार और न्यायका स्थान नहीं है, उसका सारा काम अपनी सुविधा के अनुसार भय दिखलाकर किया जाता है ।

---०---

सुपरिण्टेण्डेण्ट का आर्डर

( जुलाई १४, १९२० )


महात्माजीने लिखा है :---

पण्डित मदनमोहन मालवीय ने मेरे पास गुजरानवाला के पुलिस सुपरिटेण्डेण्ट मि० एफ० प० हिरोन के हस्ताक्षरका एक हुषम नामा भेजा है । पण्डितजी ने लिखा है कि गुजरान- वाला में भ्रमण कर वहांकी स्थितिका जो कुछ अनुभव आपने प्राप्त किया है उसके आधारपर इस आज्ञापत्रकी उचित समालोचना करके आप इसे पत्रोंमें प्रकाशित कर दीजिये । इस