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पंजाबकी दुर्घटना


पेटके बल रेंगनेकी आमाको भांति केवल भय पैदा करनेके निमित्त था। जो अपमानजनक तथा कर व्यवहार अभियुक्तके साथ किया गया था उसके सिवा इसे और किसी आधारपर चरितार्थ नहीं किया जा सकता। युद्धके जमाने में इस व्यक्ति- ने वजीराबादमें चन्दा आदिसे सरकारको सबसे अधिक सहा यता की थी, रङ्गरूट जुटानेमें भी खासी मदद की थी। पर यह सब निष्फल था। सरकारने उसको सेवाओंसे प्रसन्न होकर राजभक्तिकी सनद दी थी वह भा निरर्थक था। मार्शल लाके अभिभावकोंने उसे कालकोठरीमें ढूंस दिया और साधा- रण बदमाशोंमें उसकी गणना की गई।

बादको पञ्जाब सरकारने इस दण्डको घटाकर ; मास कर दिया है। इसके लिये पञ्जाब सरकारकी किसी तरहको प्रशंसा नहीं की जा सकती क्योंकि भाभयुक्त सर्वथा निर्दोष था और उसे रिहा कर देना चाहिये था। परसातमदामके विवरणसे मालूम होता है कि इस मुकदमेकी पुन: जांच हागी और उसके लिये एक खास जज बैठाये गये हैं। मैने इस तरहके जजका कार्रवाईके बारेमें अपनी आशंका पहले ही प्रगट कर दी है। चाहे कोई भी व्यक्ति इस पदपर क्यों न बैठा दिया जाय उसम किसी तरहकी इन्साफको आशा नहीं करनी चाहिये। यदि सरकार इस तरहके भन्यायों और ज्यादतियोंका पूर्ण प्रतीकार नहीं कर सकती और केवल अपनी अनुचित कार्रवाईपर तोपन (पर्दा) डालनेके लिये टिवुनल आदि बैठानेका प्रयास करती है तो निश्चय है कि उस