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पंजाबकी दुर्घटना


मैं अतिशय प्रसन्न होता । पर जिस गुलामी की शिक्षा भारतीय सेना को दी जाती है उसमें उन्हें इस तरह का साहस कहां से आसकता है!

जो कुछ मैंने लिखा है उसके लिये कोई सबूत नहीं उद्धृत किया है, क्योंकि मैं इसे बेकार समझता हूं और मुझे पूरी आशा है कि मिस्टर पेनिङ्गदन इसके लिये मुझे पुन: दोषी ठहराने की कृपा न करेंगे। इसका कारण यह है कि जो कुछ मैंने लिखा है उसका आधार सरकारी कागज पत्र हैं जा मिस्टर पेनिङ्गटन का सहज में प्राप्त हो सकते हैं और जिन्हें पढ़कर वे सारी बात जान ओर समझ सकते हैं ।

मिस्टर पनिङ्गटन ने लिखा है :---“ १० वीं अप्रेल को अमृतसर में जो कुछ हुआ, उसका पूरा और ठीक ठीक विवरण प्रकाशित करनकी कृपा कीजिये ।" विविध कमेटियों का रिपार्टी में उस घटना का पूरा विवरण दिया गया है। यदि धैर्य के साथ मिस्टर पेनिङ्गटन उन रिपार्टी को पढ़ें तो उन्हें विदित होगा कि सर माइकल आडायर और उनके सहायक कर्म- चारियोंन जनता को उत्तेजित करने के लिय हर तरह की चेष्टायें की पर उन्होंने उत्तेजित हाकर और क्रोध के आवेश में आकर जो कुछ किया उसके लिये जितने कड़े शब्दों में मैंने उनकी निन्दा की शायद किसी से नहीं की। १० वीं अप्रेल के बाद जो कुछ हुआ उसका वर्णन केवल इतने में हो सकता है कि, 'जनता ने हर तरहसे शान्ति बनाये रखने की चेष्टा की यद्यपि विना