करनी चाहिये। पर जब तक हम ब्रिटिश:के साथ संबन्ध रखना चाहते हैं तब तक ब्रिटिश माल का वहिष्कार हमारी समझ में औवल दर्जे की भूल और बेवकू फी होगी।
हमारे मुसलमान भाइयों की मांग इतनी जर्बदस्त है कि वहिकार के समान द्विविधा जनक परिणाम वाले शस्त्र के प्रयोग से उसकी अवहेलना नहीं करनी चाहिये । उनके साथ ही साथ सारा संसार अब इस बात को जानने लग गया है कि अब यह प्रश्न (खिलाफत का प्रश्न ) केवल ८ करोड़ मुसलमानों का ही प्रश्न नहीं रह गया है बल्कि २२ करोड़ हिन्दू भी इस बात के लिये मुसलमानों के साथ हैं। १७ अकटुबर ने दिखा दिया है कि हिन्दू मुसमानों का मेल वास्तव में मेल है और यह दिन दिन फूलता फलता तथा वृद्धि पाता जा रहा है और ग्रेट ब्रिटन अथवा मित्रदल भारत की इस संयुक्त शक्ति की किसी प्रकार उपेक्षा नही कर सकते ।
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( दिसम्बर ३, १९१९ )
अखिल भारतवर्षीय खिलाफत कांफरेन्स को संयुक्त सभा में
सभापति का पद ग्रहण करके २४ नवम्बर को दिल्ली में महात्माजी ने निम्न लिखित भाषण दिया था :---