पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/४२३

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प्रश्र्नोका प्रश्र्न


का उन्होंने जिस तरह समर्थन किया है उसमें आशाकी रेखा झलक रही है। साथ हो साथ मिस्टर लायड जार्ज ने अपनी घोषणाका जो अभिप्राय बतलाया है उससे भी आशा किसी तरह क्षीण नहीं होता। इसमें किसो तरहका संदेह नहीं कि मिस्टर लायड जार्ज अडिया रहे है पर हम लोग न्याय करा सकते हैं। हमें सबसे खराब अवस्थाकी धारणा करनी चाहिये और सबसे उत्तमकी चेष्टा करनी चाहिये। अब प्रश्न यह रहा कि इसके लिये हमें किन तरीकोंको काममें लाना चाहिये। हमें क्या नहीं करना चाहिये, यह तो स्पष्ट है :---

(१) मनसा, वाचा अथवा कर्मणा हमें किसी तरहकी हिंसाकी चेष्टा नहीं करनी चाहिये ।

(२) इसलिये बदला या दण्डके लिये किसी भी प्रकार से ब्रिटिश मालके वहिष्कार की योजना नहीं करनी चाहिये। मेरी समझमें वहिष्कार एक प्रकारकी हिंसा है। इसके अलावा यदि यह किसी तरह अभिवांच्छनीय है तो यह कार्यक्रम में असम्भव है।

(३) जबतक हमारी कमसे कम मांगे पूरी न कर दी जायें हमें चैन नहीं लेना चाहिये।

(४) खिलाफतके प्रश्नके साथ मित्र आदिके प्रश्नको नहीं मिलाना चाहिये।

इसके बाद अब हमें यह देखना चाहिये कि हमें क्या करना चाहिये ।