आगामी १६ वीं तारीखको हर तरहके कारबारको बन्द करके पूरी हड़ताल करनी चाहिये। हड़ताल पूर्णरूप से शान्तिमय होनी चाहिये। यह आपसे आप ही होनी चाहिये। किसी पर किसी तरहका दबाव नहीं डाला जाना चाहिये। जबतक कि मालिकोंसे छुट्टी न मिलती हो मजूरों और कुलियोंको हड़ताल करने के लिये नहीं बहकाना चाहिये। शामको सार्वजनिक सभायें होनी चाहिये। और एक हो प्रस्ताव द्वारा अपनी कम से कम मांगों को व्यक्त कर देना चाहिये। हड़ताल करनेमें हिंसा को पूरी तरह से रोकना होगा। मैंने कई बार लिखा है कि खुफिया विभागके लोग भी हिंसाके लिये गुप्तरूप से जनताको उत्तजित करते हैं। लेकिन यह सर्वदा ऐसा नहीं करते । पर यदि यह सर्वदा सच हो तोभी हमें अपने आचरणोंसे इसे असम्भव बना देना चाहिये। हमारी सफलता केवल इतने पर निर्भर है कि सर्वसाधारणका सञ्चालन और नियन्त्रण करनेमें हमें पूरी योग्यता दिखलानी चाहिये ।
अब दो शब्द हमें इस विषयपर कहना है कि यदि हम लोगों की मांगे न पूरी की गई तो हम लोग क्या करेंगे? इसके प्रतीकारका अमानुषिक और असभ्य तरीका प्रगट या गुप्त संग्राम है। इस समय इसे केवल असम्भव समझ कर हमें इसका त्याग करना चाहिये। पर मेरी दृढ़ धारणा है कि यदि मैं सबको यह बात समझा सकू कि यह सभी अवस्थामें खराब है तो हम अपने सभी न्यायपूर्ण मांगोंको अति सहजमें प्राप्त