पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/४२५

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प्रश्र्नोंका प्रश्र्न


कर सकते हैं । हिंसाकी वृत्तिको दमन करके कोई शक्ति या राष्ट्र जिस शक्तिका उपार्जन करता है वह अजेय है। पर आज मैं हिंसाका विरोध केवल इस कारण कर रहा हूं कि वह एक दमसे निरर्थक है ।

इसलिये हमारे पास केवलमात्र असहयोगका ही शस्त्र शेष रह गया है। यदि असहयोग हिंसासे कलङ्कित न हुआ तो उससे बढ़कर पवित्र और बलिष्ठ कोई भी शक्ति नहीं रह गई है। यदि सहयोग करनेसे किसीके अभिमत धार्मिक विश्वास पर आघात पड़ता हो तो ऐसी अवस्था में असहयोग करना धर्म हो जाता है। जिस अन्यायपूर्ण नीतिके साथ हम लोगोंका अधिकार छीना जा रहा है और जो मुसलमानों के जीवन मरणका प्रश्न हो रहा है उसमें हम लोग दीनों की भांति सिर अकाने के लिये तैयार नहीं हो सकते। इसलिये हमें हर तर फसे अपना कार्य आरम्भ कर देना चाहिये। जो लोग सरकारी पदोंपर हैं उन्हें तुरन्त इस्तीफा दे देना चाहिये। जो लोग छोटे ओहदोंपर काम कर रहे हैं उन्हें भी अपने पदोंसे हट जाना 'चाहिये। किसी व्यक्ति विशेषकी नौकरीमें असहयोग आन्दोलन का प्रयोग चरितार्थ नहीं होता। जो लोग असहयोगके कार्यक्रमको स्वीकार कर उसके अनुसार काम करनेके लिये तैयार नहीं हैं उनपर हम किसी तरहकी ज्यादती करनेको सलाह नहीं देते, क्योंकि अपने मनसे जो काम किया जाता है वही पूरी तरह सफल होता है। और जो काम अपने मनसे किया जायगा वही