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पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/४४१

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कुछ प्रश्र्नोंका उत्तर


आदोलन कर रहे हैं जो सर्वथा न्यायपूर्ण स्वीकार कर लिया गया है। और उस न्यायपूर्ण मांगके लिये वे अंग्रेज जातिकी पूर्ण सहानुभूति और सहयोग चाहते हैं। पर इसके लिये केवल जबानी हमदर्दीसे काम नहीं चल सकता और न वह पर्याप्त होगी। इसके लिये उस तरहके सहायताकी आवश्यकता है जिसके द्वारा पूर्ण न्याय करनेकी संभावना हो।

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कुछ प्रश्नोंका उत्तर

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(मई १६, १९२०)

"आपका सात तारीखका पत्र मिला। आपने लिखा है कि यंग इण्डियामें असहयोगपर आपके लेखोंको पढ़कर मैं अपना स्पष्ट मत प्रगट करू। इसके लिये मैं आपका अतिशय कृतज्ञ हूँ। मैं जानता हूं कि आप सत्यका अनुसन्धान करके उसका पता लगाना चाहते हैं और उसी पर आचरण करना चाहते हैं इसलिये मैं निर्भयताके साथ नीचे लिखे चन्द शब्द लिखता हूं :-

५वीं मईके अङ्क में आपने लिखा है कि असहयोग सरकारका विघातक नहीं है। पर सरकारके साथसे सम्बन्ध तोड़ लेना, हर तरहसे सहयोग हटा लेना, उसकी सहायता न करना, उसकी