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पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/४५९

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और प्रश्र्नोंका उत्तर


केवल कर्तव्य ही नहीं है बल्कि बदला लेनेका साधन भी है। पर ब्रिटिश सरकारके साथ मेरा असहयोग अपने घरके लोगोंके साथ किये गये असहयोगके बराबर है। ब्रिटिश शासन प्रणाली में मेरी असीम श्रद्धा और भक्ति है। मेरा अंग्रेजों के .साथ किसी तरहका वेमनस्य नहीं है बल्कि कितने अंग्रेज ऐसे उच्च हैं कि उनके चरित्रको मैं अनुकरणीय मानता हूं और स्पर्धा की दृष्टि से देखता हैं। कितने ही अंग्रेज मेरे घनिष्ट मित्रोंमेंसे हैं। किसीको भी शत्रु समझना मेरी धार्मिक धारणाके एक दम प्रतिकूल है। मुस- लमानोंके बारेमें भी मेरे यही भाव है। मुझे ढूढ़ विश्वास है कि उनकी मांगें न्यायपूर्ण हैं। इसलिये यद्यपि उनका मत मुझसे भिन्न है तोभी मैं उनके साथ सहयोग करनेसे जरा भी नहीं सकुचाता और उनसे प्रेरणा करता हूं कि वे मेरे तरीकेसे एक बार काम लें क्योंकि मेरी दृढ़ धारणा है कि यदि अस्त्र सच्चा है तो बुरे इरादेसे उसका प्रयोग भी कुछ लाभदायक ही होगा। जैसे किसी बुरे कामके लिये भी कुछ समय तक सच बोलना पड़े तो उस सचका असर अवश्य ही अच्छा होता है। चूंकि । काम बुरा है इसलिये सच बोलना बेकार नहीं हो सकता।


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