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पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/४७

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क्या भाव थे उसका पता कांग्रेस की उस साल की सरकारी रिपोर्ट से ही विदित हो जाती है। उस रिपोर्ट में लिखा है अधिकारी वर्ग की पृणा और अत्याचार का प्रधान लक्ष्य मारत वर्ष था। उसकी साधारण से साधारण मांगें उपेक्षा को दृष्टि ले देखी गई और उनकी हंसी उड़ाई गई। उसकी योग्यतम प्रार्थना यें अस्वीकार कर दी गई, उसकी उत्तम से उत्तम सदिच्छाये शरारत कह कर ठुकरा दी गई, उन के अभिमत ध्येय काट कर नीचे गिरा दिये गये।" उस काँग्रेस में बड़ी हल-चल रही। नेताओं के चेहरे पर परीशानी और चिन्ता के प्रत्यक्ष लक्षण विधमान थे। राष्ट्रके जीवन में यह बड़ा ही सङ्कटमय समय था। गरम दलवाले औपनिवेशिक स्वरा. ज्यके पक्ष पाती नहीं थे। जिस तरह ब्रिटन की सदिच्छा से उनका विश्वास उठ गया था उसी तरह औपनिवेशिक स्वरा.ज्यसे भी उनका विश्वास उठ गया था। अगले वर्ष की कांग्रेस सूरत में हुई। दोनों का मत भेद इतना बलिष्ट हो गया था कि साथ रह कर काम करना एक दम असम्भव था। निदान दोनों दल अलग हो गये। इससे नौकरशाही को दमन करने का पूरा अवसर मिल गया। उसने नरमदलवालों को अपनी ओर मिला लिया और गरमदलवालों का दमन आरम्म किया। बडाल के चन्द नवजवानों का दिमाग घम गया उन्होंने दमन का उत्तर दमन से दिया। यदि उसी समय कायस ने असहयोग स्वीकार कर लिया होता तो कदाचित