पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/५०२

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खिलाफतकी समस्या


भिन्न भिन्न जातियों को तोड़कर अलग कर देना समान नहीं है यह बात बार बार दृढ़ता के साथ कही जाती है कि तुर्को साम्राज्य को जिस तरह मनमें आवे तोड़ दीजिये। उसके टुकड़े टुकड़े करके सैकड़ों हिस्से बना डालिये । पर स्मरण रखिये कि प्रत्येक भाग आपको अपना शत्रु समझेगा और सदा पुनः एकमें मिल जानेकी चेष्टा करता रहेगा । एक बात और भी यहीं समझ लेनेbकी है। आस्ट्रिया हंगरी को इस तरहले तोड़ा गया है कि प्रत्येक भाग उन्हीं जातियों के हाथमें आ गया है जो जातीयता और धार्मिकता में एक हैं। पर तुर्कीके छिन्न भिन्न करने से यह बात नहीं हो सकती। इससे तुर्कीके छिन्न भिन्न करने में जो अन्याय है उसका पता सहज में ही लग जाता है। तुर्को का बटवारा इस प्रकार से किया जा रहा है जिससे उसके खण्ड उन ईसाई राजाओं के हाथ में आ जायं जो तुर्की साम्राज्य को लोलुप दृष्टि से देख रहे हैं। पर यदि ईसाई धर्म के अनुसार ईसाईयों के ऊपर मुसलमानों का शासन ईश्वरका कोप समझा जाता है तो क्या मुसलमानों पर ईसाईयों का शासन उसी दृष्टि से नहीं देखा जा मकता। अन्त में यदि थोड़ी देरके लिये मान भी लिया जाय कि आस्ट्रिया हंगरी के साथ भी उसी तरह पूर्ण निर्दयताका व्ययहार किया जा रहा है और उसे भी तुर्की के समान ही दण्ड दिया जा रहा है तो इससे तुर्की के साथ किये गये अन्याय का प्रतिपादन नहीं हो सकता क्योंकि एक अन्यायका समर्थन करने-के लिये दूसरे अन्यायका उदाहरण कभी भी लागू नहीं हो सकता।