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खिलाफतकी समस्या


याल सदा के लिये स्वतन्त्र जलमार्ग बना दिया जाना चाहिये जिसकी देखरेख अन्तर्राष्ट्रीय सभा के हाथ में हो और संसार के सभी राष्ट्रों के व्यवसायिक जहाज़ पूर्ण खतन्त्रताके साथ उसमे से आ जा सकें ।

इसमें प्रधानमन्त्री की प्रतिज्ञाओं का पूरी तरहसे समावेश है और मुसलमानों ने इसमें पूरा विश्वास किया था। इसलिये मुस- लमानों पर यह दोषारोपण करना व्यर्थ है कि उन्होंने एक अंशपर तो अधिक जोर दिया और दूसरे अंशको एकदम छोड़ दिया। टाइम्स आफ इण्डिया का संवाददाता लिखता है कि प्रधानमन्त्री ने अभी हाल में ही गिल्ड हाल में जो भापण किया है वह उनकी प्रतिज्ञा से भी अधिक आशाप्रद है। हम लोग भी यही कहते हैं कि वह आगे बढ़ गया है क्योंकि इस भाषण में उन्होंने तुर्को के कुशासन ओर अनाचारों की जो चर्चा की है उससे उनकी प्रतिज्ञा का अभिप्राय ही बदल जाता है और यदि उससे नई बाते न प्रगट हुई होती तो भला मिस्टर बोनरला को यह कह- ने का अवसर क्योंकर मिला होता कि मिस्टर लायड जार्ज ने अपने जनवरी १९१८ के भाषण के किसी भी अंशको काटने छाटने की आवश्यकता नहीं देखी।

तीसरे इतराज के दूसरे भाग में कुछ जोर अवश्य है। पर उसका उत्तर भी स्पष्ट है। जहां तक अरब का सम्बन्ध है राष्ट्रीयता के सिद्धान्त की उपेक्षा नहीं की जानी चाहिये । यदि टाइम्स आफ इण्डियाके संवाददाताने इस विषय में मुसलमानों के मत को