पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/५१७

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खिलाफतका प्रश्न


है कि आर्मेनियावालों पर घोर अत्याचार किया गया है। उनके उद्धार के लिये स्वतन्त्र आर्मेनिया राज्य की स्थापना की व्यवस्खा की जा रही है। इसके सम्बन्धमें उस पत्रमें लिखा है:---

आर्मीनियावालों को संख्या बहुत ही कम है। वे चारों ओर से मुसलमान जनतासे घिरे हैं जिनकी संख्या बहुत अधिक है। इस लिये स्वतन्त्र आर्मेनिया राज्यको स्थापनाकी सम्भावना वहां नहीं हो सकती है जहां आर्मेनिया के लोग कम या वेश समुदाय में रहते हों। उनके विस्तार तथा सीमाका निर्णय उसी स्थानपर हो सकता है । १८६६ की ५ वीं नवम्बरको जब डिपुटी के चेम्बर-की बैठक हुई थी उस समय फांसके विदेशी सचिव मुश्यु गेब्रियल हेनाटेने कहा था कि गणनाके अनुसार आर्मेनिया की जनता आवादी की १३ प्रति सैकड़ेसे भी कम ठहरती है। यह लिखने की आवश्यकता नहीं कि यह घोषणा पत्र तथा ये अंक तुर्कों की मांगों के सम्बन्ध में नहीं तैयार किये गये थे। इसके बाद यूनान का प्रश्न उठाया गया है। मिस्टर बेनिजलो का कहना है कि एशिया माइनर में यूनानियोंकी संख्या अधिक है। इसके सम्बन्ध में उस पत्र में लिखा है:---एशिया माइनरका यूनानी प्रजा तुर्को के साथ इस प्रकार हिल मिल गई है कि अब उसकी कोई स्वतन्त्र जातीयता नहीं रह गई और साथ ही यहां भी तुर्काकी संख्या अधिक है, थनानी बहुत ही कम है। एशिया माइनरमे यूनानियोंकी इस कमीको छिपानेके लिये मिस्टर बेनिजलोने आर्चिपेलेगोको यनानी जनसंख्याका भी शुमार उस