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खिलाफतकी समस्या
जो मजदूर काम बन्द कर देंगे उनकी जगह दूसरे मजदूरोंको काम पर न माने देनका सामर्थ्य हममें हैं। मेरा तो ख्याल है कि अभी हम इतने सङ्गठित नही है जो यह काम कर सक। ऐसी कोशिश नाकामयाब होनेके सिवा और कुछ हासिल नही और इससे भी बुरा नतीजा न निकले तो गनीमत समझिये।
इसका तो उपाय अगर हो सकता है तो बस, यहो कि कान नका सविनय भङ्ग तुरन्त शुरू कर दे। परन्तु मुझे इतमीनान हो गया है कि देश अभी विस्तृत रूपसे इसे करनेके लिये तैयार नहीं है। पर यदि देश इस बातका दिखा दे कि उसमें सङ्गठन की इतनी काफी क्षमता है, उसके पास इतने विभिन्न साधन हैं इतनी नियमवद्धता है जितनी कि स्वदेशी जैसे बिलकुल व्यव हार्य कार्यको पूर्ण सफल बनानेके लिये आवश्यक है ता कानूनका सविनय भङ्ग विना जोखिमके सफलतापूर्वक शुरू किया जा सकता है। आइये, हम यह आशा और प्रभुसे प्रार्थना कर कि देश ऐसा कर दिखावे।