पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/५६०

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खिलाफतकी समस्या


हार किया गया है वह अन्य विजित शक्तियोंसे कहीं बुरा था। हम लोग यह बात दृढताके साथ कह सकते हैं कि तुर्की के प्रश्नका निपटारा करते समय ब्रिटिश सरकारको भार- तीय मुसलमानोंका भी ख्याल करना होगा और उनकी मांगें पूरी करनी होगी जहाँ तक वे उचित और न्यायसंगत हैं। हमारी धारणा है कि भारतीय मुसलमानोंने किसी तरहकी कठिनाई नहीं उपस्थित की है। पर उनके लिये यह असम्भव है कि इस युद्ध में जर्मनोंका साथ देनेके कारण तुर्की का किसी तरहका दण्ड दिया जाय और उसके हाथसे अधिकार छीन लिया जाये। जिस स्थितिमें मुसलमानोंने जमेनीका साथ दिया था उसकी समीक्षा परीक्षा करनेका यहां स्थान नहीं है। पर हम लोग ऐसी कोई बात नहीं चाहते जिससे आत्म- निर्णयके सिद्धान्तपर आघात पहुंचे। हमलोग ऐसे किसी भी शासनके पक्षपाती नहीं है जैसा कि तुर्की के बारेमें कहा जाता है। आर्मेनियाकी प्रजापर तुर्की सैनिकों के जिस अत्या- चार और बर्बरताकी चर्चा की जाती है उसको निरपेक्ष जांचके लिये एक स्वतन्त्र कमीशन बैठानेकी सिफारिश हमारे उन प्रतिनिधियोंने की है जो विलायत गये हैं। केवल उसे दण्ड देने अथवा नीचा दिखलानेके लिये तुर्की अथवा तुर्क साम्रा. ज्यका किसी तरहका अङ्ग भङ्ग हम लोग निरपेक्ष दृष्टिले नहीं देख सकते ।

इसलिये हमलोग आपसे तथा आपकी सरकारसे इस