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पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/५६२

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खिलाफतकी समस्या


लोगों बाध्य होकर आगामी अगस्त मासकी पहली तारीखसे आपके साथ सहयोग स्याम कर देना पड़ेगा और अपने हिन्दू भाइयोंको भी हम अपना साथी बनानेकी चेष्टा करेंगे।

एक बात हम लोगोंको और कहनी है। हमारी यह प्रार्थना किसी प्रकारकी धमकी या अनादरके भावसे नहीं भरी है। हम ब्रिटिश साम्राज्यके कट्टर राजभक्त हैं। पर इस्लाम धर्मके मुका- बिले हम इस राजभक्तिको गौण स्थान ही दे सकते हैं। इस्लाम धर्मकी आज्ञा है कि यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर उसपर हस्त- क्षेप करे, खलीफाके अधिकारपर चोट करे तो वह इस्लाम धर्मका विरोधी समझा जायगा और प्रत्येक मुसलमानका यह धर्म होगा कि जिस तरहसे हो-आवश्यकता पड़नेपर तलवार उठाकर भी-उसका प्रतिरोध करे। हम लोग यह भी कहते हैं कि शक्ति .रहनेपर भी हम लोग तबतक हथियार उठाना स्वीकार नहीं करेंगे जबतक हमारे पास प्रतीकारके अन्य तरीके है। जो व्यक्ति खलीफाके अधिकारको जड़से काट डालना चाहता है उसके साथ किसी तरहका सम्बन्ध न रखना प्रत्येक सच्चे मुस- लमानका कमसे कम करणीय विषय है। इसलिये जो सर- कार सन्धिकी शर्तों को स्वीकार करती है तथा हम लोगोंको भी स्वीकार करनेके लिये प्रेरित करती है उस सरकार के साथ सहयोग न करना ही हम लोगोंका परम कर्तव्य होगा।

हमें पूर्ण आशा है कि असहयोग व्रत ग्रहण करनेकी नौबत ने भावेगी पर यदि अभाग्यवश हम लोगोंको लाचार होकर