बराबरीकी विडम्बना करके वह उसका अपमान क्यों करता है। मैं टाइम्स आफ इण्डियाको सलाह दुगा कि वह इस स्थितिको समझे और जिस कामके लिये भारत के प्रमुख नेता जोर दे रहे हैं उसमें योगदान दे।
मैं फिर भी यही कहता हु कि यदि मन्त्रिमण्डल भारतीयाके धार्मिक भावको प्रतिष्ठा नहीं करना चाहता और उनकी मर्यादा-का पालन नहीं करना चाहता ता लार्ड चेम्सफार्डको यही उचित है कि वे अपने पदसे स्तीफा दे दें। टाइम्स आफ इण्डियाने लिखा है कि काननकी इष्टिमें लार्ड चेम्सफोर्ड को मन्त्रिमण्डलके निर्णयके विरुद्ध कुछ नही करना चाहिये। क्या यह लिखकर टाइम्स आफ इण्डिया कानून शब्दको तोड मरांड नहीं रहा है। इस बातका हम स्वीकार करते हैं कि अपने पक्ष- पर रहकर कोई भी बड़ा लाट मन्त्रियोंके निर्णयका विरोध नही कर सकता पर कानून बड़े लाटके स्तीफामें वाधक नही हो सकता और जब कोई बडा लाट यह देखता है कि उसे अन्याय आचरण करने के लिये वाध्य किया जा रहा है और इस आचरणसे उन-लोगोंके बीच में बड़ो उत्तेजना फैलने की संभावना है जिनका शासन वह कर रहा है तो सिवा स्तीफा दे देनेके उसके लिये और कोई चारा शेष नहीं रह जाता है। - -