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पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/५७५

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बिटिश साम्राज्यवाद

पहले पहल फांसके सरकारी पत्र ला टेम्पसने प्रकाशित किया था और जिसे मञ्चेस्टर गार्जियनने उद्धृत किया था। इस बात- चीतमें उन्होंने कहा था :-

"इस (नीति) का परिणाम एशिया माइनरमें युद्ध होगा। पर इस युद्धके लिये न तो इटाली एक सिपाही देगा और न मैं एक पैसा। तुमने तुर्कों से उनके पवित्र क्षेत्र आण्डियानोपुल- ले लिया है। तुमने उनकी राजधानीको विदेशियोंक कब्जेमे छोड़ दिया है। तुमने उनके समस्त बन्दरगाहों और उनके राज्यकी अधिकांश भूमिको ले लिया है। तुम्हारे चुने हुए पांच प्रतिनिधि इस सन्धिपत्रपर हस्ताक्षर कर देंगे पर उनका समर्थन न तो तुर्क लोग ही करेंगे और न तुर्की सरकार ही करेगी।"

ला टेम्पस पत्रने लिखा है कि इटाली सरकार इस नीतिपर बराबरसे चलती आ रही है और यदि वह देखेगी कि संयुक्त शक्तिद्वारा ही सन्धिकी शर्ते स्वीकार कराई जा सकेंगी तो वह साथ मा छोड़नेको तैयार है। इससे इटाली सरकारको नीति- का पता चल जाता है। इटालीकी प्रजा इससे भी एक कदम आगे बढ़ी हुई है। इटालीके अनेक समाचारपत्रोंके देखनेसे विदित हो जाता है कि उनका क्या विचार है। इटालीका प्रसिद्ध पत्र गियोर नाले डे इटालिया लिखता है :-'जनताको सचेत हो जाना चाहिये । सन्धिकी शर्तों मे मुसलमानोंके साथ पूरा विश्वासघात किया गया है। इसके कारण दुसरा धार्मिक