पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/५८३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
४२७
मिस्टर माण्टेगकी धमकी का उत्तर


सरकारमें पूरा विश्वास है। वे आन्दोलन पर होशियारोसे नजर रख रही हैं और उनको स्थितिका प्रबन्ध करनेके लिये पूरी शक्तियाँ स्वतन्त्रता है।

मि० माण्टेगूका यह कथन बहुतसे लोंगोंने धमकी समझा है। बहुतोंका मत है कि इस आशाका अर्थ यह है कि भारत सरकारको अधिकार दे दिया गया है कि अगर वह चाहे तो फिर भयका साम्राज्य स्थापित कर सकती है। निस्स- देह मिस्टर माण्टेगूका कथन उनकी इस इच्छाके उपयुक्त नहीं है कि भारतका शासन भारतकी जनताके प्रेमके आधार पर स्थापित किया जाय। साशही हण्टर-कमेटी जिस परिणामपर पहुची है अगर वह ठीक है और पञ्जाबके गत वर्षके उपद्रवोंका मैं ही कारण हूँ तो निस्सन्देह मेरे साथ असा- धारण नरमीका व्यवहार किया गया है। मैं यह भी स्वीकार करता हूँ कि मैं इस वर्ष जो काम कर रहा हूँ वह मेरे गत वर्षके कामकी अपेक्षा साम्राज्यके लिये ज्यादा खतरनाक है। सहयोग-त्याग स्वयं तो शान्ति-पूर्ण कानून भड़को अपेक्षा अधिक निर्दोष है, परन्तु उसका परिणाम उक्त कानून- भङ्गके परिणामकी अपेक्षा सरकार लिये कहीं ज्यादा खतरनाक होगा। सहयोगत्यागका उद्देश्य सरकारको इतना शक्ति-हीन कर देना है कि उसे न्याय करनेको बाध्य किया जा सके। अगर वह आखिरी सीमातक जारी रखा जाय तो वह अवश्य सरकारके कामको बिलकुल बन्द कर देने में