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मिस्टर माण्टेगूकी धमकी उत्तर


स्वाधानता रहित किया जाय तो उसे इसका विरोध करनेका कोई अधिकार नहीं है और जब स्वयं उसीको अधिकार नहीं है तो उसके साथ सहानुभूति रखनेवालोंकी तो कोई बात ही नहीं है। मेरे सम्बन्धमें सहानुभूतिका तो कोई सवाल ही नहीं है, क्योंकि मैं जानबूझ कर सरकारके अस्तित्वको खतरे में डाल. नेकी कोशिश कर रहा हूं। इसलिये जिस समय मैं वैद होऊँ वह समय मेरे नीतिके समर्थकोंके लिये तो खुशाका होना चाहिए, क्योंकि अगर वे लोग मेरे पीछे भी मेरी नीतिको जारी रख सके तो मेरी गिरफ्तारीका अर्थ सफलताका प्रारम्भ होगा। अगर सरकारने मुझे गिरफ्तार किया तो वह ऐसा काम सह- योग-त्यागकी उन्नतिका रोकनेके लिये ही करेगी। फिर अगर मेरी गिरफ्तारीके बाद भी सहयोग-त्याग बिना किसी उत्साहकी कमीक तरकी करता चला गया तो सरकारके लिये यह भाव- श्यक हो जायगा, कि या तो वह और लोगोंको कैद करे या जनतासे सहयोग प्राप्त करने के लिये उनकी इच्छा पूरी कर दे। अगर लोगोंने उत्तेजित किये जानेपर भी उपद्रव कर डाला तो परिणाम नाशकारक होगा। इसलिये सफलताके लिये प्रथम आवश्यकतो यह है कि आन्दोलनके बीच में चाहे में गिरफ्तार किया जाऊँ और चाहे कोई और किया जाय किसी तरहका क्रोध प्रगट नहीं किया जाना चाहिए। ये दोनों काम एक साथ ही नहीं हो सकते कि हम सरकारके अस्तित्वको संकटापन्न भी बनावें और फिर अगर वह ऐसा करनेवालोंको दण्ड देकर अपनी रक्षाका यत्न करे तो उसको बुरा भी कहें।

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