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पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/८४

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नीतिका बहुत कम उल्लेख किया गया है। इसका कारण नह है कि यद्यपि यह विषय इस इतिहासका एक मुख्य अङ्ग है तथापि इसका महत्व ऐसा है कि इसका विशेष और पृथक् वर्णन करना आवश्यक है।


सरकारकी परेशानी ।


पीछे जिन घटनाओंका उल्लेख है उनसे विदित होगा कि असहयोगकी जबर्दस्त लहर उठते ही सारे देशमें अति शीघ्र फैल गयी। ज्यों ज्यों वह एक प्रान्तसे दूसरेकी ओर बढ़ी त्यों त्यों उसका वेग बढ़ता गया। सरकार आरम्भसे ही इस आन्दोलनको अद्भुत सफलता देखकर घबरा गयी। उसको यह डर था कि इस समय दमन करनेसे उसका बल घटनेके स्थान में बढ़ जायगा। इसलिये उसने पेंशन पानेवालोंकी पेंशने बन्द करना, असहयोगी जमींदारोंको नहरका पानी न देना तथा इसी प्रकारको और भी तग करनेकी युक्तियां निकाली। कहीं कहीं किसी किसीपर मुकदमें भी चलाये गये। पर ऐसा प्रतीत होता था कि सरकारने यह समझ लिया है कि इस समय आन्दोलनके विरुद्ध बलका प्रयोग करना आत्मघातक होगा।


'नरमदल वालोंको मिलाओ


लार्ड चेम्सफोर्ड आन्दोलनकी हंसी ही उड़ाते रहे पर उनका चित्त खल नहीं था। यही भाव भारतके सरकारके ६ नबम्बर १९२० के उस विश्वयमें अन्तर्निहित है जिसमें आश्चर्यः