पृष्ठ:यंग इण्डिया.djvu/९२

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ने उन्हें दण्ड दिये जानेको विचार स्वतन्त्रता का अपमान माना और अपनी कमेटियों में तथा सहस्रों भाषण मञ्चोंपर प्रस्ताव रूप से उस अपराधको दुहराया। सहस्रों मनुष्य इस काम में सम्मिलित हुए। सरकार इस बात से निरुत्तर हो गयी और किसी एक व्यक्तिपर भी अभियोग न चलाया गया। परन्तु सेडिशस मीटिङ्गज ऐक्ट तथा क्रिमिनल ला एमेण्डमेंट ऐक्ट का और तीव्र प्रयोग करके कांग्रेस और खिलाफत स्वयंसेवक दलों को दबानेकी पूरी चेष्टा की गयी।

श्रीमान प्रिन्स आफ वेल्स।

श्रीमान् प्रिस आफ वेल्स १७ नवम्बर को भारत आये। उसी दिन समस्त देशव्यापी हड़ताल हुई। सर विलयम विसेंट इसे 'एक घृणित बात' कहते हैं पर वस्तुतः यह हड़ताल भारतीय जनता के इस दृढ़ सङ्कल्प का एमाण थी कि वह राजनीतिक उद्देश्यों के लिये राजवंश का दुरुपयोग न होने देगी। यह आरम्भ में ही स्पष्ट कर दिया गया था कि श्रीमान्का किसी प्रकार अपमान करना अभीष्ट नहीं है। सर्वभारतीय कांग्रेस कमेटी की इस विषय की जो विस्तृत विज्ञप्ति है तथा महात्माजी ने २ अक्त बर १६२१ के 'यङ्ग इण्डिया' में 'प्रिंसका सम्मान करो' शीर्षक देकर जो अग्र लेख लिखा था उसमें यह बात मलीभांति स्पष्ट कर दी गयी है। परन्तु नौकरशाही ने अपने पूर्व निश्चित मार्ग- को बदलना स्वीकार न किया। जिन लोगों को इस विषय की