पूरी जानकारी होनी चाहिये थी वे ब्रिटिश शासन पद्धति के इस निधम की दुहाई देते रहे कि बादशाह का किसी दल विशेष के राजनीतिक विचारों से सम्बन्ध नहीं होता। भारत का एक एक बच्चा जानता था कि श्रीमान् पहले उन्हीं सुधारों को आरम्भ करने के लिये लाये जाने वाले थे जिनको देश ने अस्वीकार कर दिया था, परन्तु जब वे अस्वस्थ हो जाने के कारण ऐसा न कर सके तो उनके पूज्य पितृव्य जो अब सार्वजनिक कामों से पृथक हो गये हैं इस काम के लिये लाये गये। इस दशा में ऐसा अनुमान करना स्वाभाविक था कि प्रिंस द्वारा उन्हीं विवादास्पद सुधारों का समर्थन कराया जायगा। आगे चलकर यह अनुमान सत्य निकला। जिस समय सारा देश असन्तोष से क्षग्ध हो रहा था उस समय सारे भारत को युवराज के स्वागत के नाम पर एकत्र करके नौकरशाही एक राजनीतिक लाभ उठाना चाहती थी। इन स्पष्ट बातों के होते हुए भी बार बार यही कहा जाता था कि प्रिंस को यात्रा का राजनीति से कोई सम्बन्ध नहीं था।
सारा देश इस यात्रा का विरोध कर रहा था। नरमदल भी इसके पक्ष में न था। बम्बई में लिबरल कान्फल्स में भाषण करते हुए श्री शास्त्रीजीने कहा था:-
"इसके सिवा, एक बात और थी जिसने अधिक इस