प्रयोग किया गया। इस प्रकार की रिपोर्ट की सीमा का अतिक्रमण किये बिना उनका पूरा पूरा वर्णन करना असम्भव है। पजाब,संयुक्त प्रान्त, बङ्गाल तथा आसाम में दमन नीति बिलकुल गैर-कानूनी और निर्दयता पूर्ण थी। कानून और अमन के नाम पर तरह तरहके मनमाने जुल्म किये गये। साम्मन्यतः यह कहा जा सकता है कि प्रान्तों के अनेक जिले समय समयपर कांग्रेस तथा खिलाफत के अधिक उत्साही कार्यकर्ताओं से प्रायः शन्य कर दिगे गये थे। ये लोग क्रिमिनल ला एमेण्डमेण्ट एफ्ट जाब्ता फौजदारी की १०७ और १०८ धाराओं तथा भारतीय दण्डिवधान की १२४ (अ) और १५३ (अ) धाराओं के अनुसार दलके दल एवं मनमाने तौर पर गिरफ्तार कर लिये जाते थे। संयुक्त प्रान्तों को तो इस बात का श्रेय प्राप्त है कि पुलिस ने इसकी प्रान्तीय कमेटी के ५५ सदस्यों को एक साथ ही उस समय गिरफ्तार कर लिया जबकि वे लोग इलाहाबाद में की गयी एक जरूरी बैठक में स्वयं सेवकों की भर्ती के सम्बन्ध में प्रस्तावपर विचार और बहस कर रहे थे।
प्रस्ताव का मसविदा जब्त कर लिया गया। प्रत्येक सदस्य से पूछा गया कि क्या आप इसे पसन्द करते हैं। हां, कहने पर वह नीचे सड़क पर खड़ी हुई पुलिस को गाड़ो में पहुचा दिया गया। जो लोग शीघ्र न चल पड़े उन्हें चलाने के लिये पोछे से थोडासा