पृष्ठ:योगिराज श्रीकृष्ण.djvu/३९

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38/ योगिराज श्रीकृष्ण
 


गंगाधर तिलक ने 'ओरियन' नामक अपने ग्रंथ मे बहुत कुछ तर्क-वितर्क करने के पश्चात् लिखा है कि वह समय जब माघ मास में सूर्य उत्तरायण में होता था बहुत प्राचीन सिद्ध होता है। इसके अतिरिक्त प्राचीन संस्कृत साहित्य में महाभारत के प्राय: सभी वीरों का वर्णन आता है, जिससे यूरोपीय पुरातत्वज्ञ सिद्ध करते है कि महाभारत की असली लड़ाई इन ग्रंथों के रचे जाने से बहुत पहले हो चुकी थी।

(10) प्राचीन संस्कृत साहित्य में कृष्ण तथा अन्य वीरों का वर्णन।

पाणिनि ऋषि कृत अष्टाध्यायी के सूत्रों में युधिष्ठिर, कुन्ती तथा वासुदेव और अर्जुन के नाम आते हैं जैसे आठवें अध्याय के तीसरे पाद के 95वें सूत्र में युधिष्ठिर (शब्द) आया है।[१] इसी प्रकार चौथे अध्याय के पहले पाद के 174वें सूत्र में कुन्ती शब्द का प्रयोग हुआ है[२] फिर इसी अध्याय के तीसरे पाद के 98वें सूत्र में वासुदेव तथा अर्जुन का नाम आता है।[३]

प्रोफेसर गोल्डस्टकर की सम्मति है कि पाणिनि मुनि ब्राह्मण ग्रंथों और उपनिषदो से भी बहुत पहले हुए हैं। श्री स्वामी दयानन्द की भी यही सम्मति है। ब्राह्मण ग्रंथों मे ऐतरेय और शतपथ में परीक्षित और जनमेजय का वर्णन आया है। जनमेजय पाण्डवों के प्रपौत्र का नाम था जिसके दरबार में प्रथम महाभारत सुनाई गई। इसके अतिरिक्त तैत्तिरीय आरण्यक में श्रीकृष्ण का नाम आता है। छान्दोग्य उपनिषद् में 'देवकी के पुत्र कृष्ण' का वर्णन है। आश्वलायन गृह्य सूत्र मे भी महाभारत के युद्ध का वर्णन आया है। इसी तरह महर्षि पतंजलि के भाष्य में कई जगह आया है कि कृष्ण वासुदेव ने अपने मामा कंस को मारा इत्यादि। यह भी याद रखना चाहिए कि छः दर्शनकारों में सबसे अन्तिम दर्शनकार व्यास हुए हैं। व्यास को वेदान्त दर्शन का कर्ता मानते हैं। अब इन बातों के रहते यह निर्णय करना बड़ा कठिन है कि महाभारत का युद्ध क्ब हुआ, महाभारत ग्रंथ कब रचा गया और कौन-से व्यास ने उसको बनाया।

तथापि यह परिणाम निकला कि महाभारत के युद्ध को बहुत काल बीता है और असल महाभारत ग्रंथ युद्ध से कुछ काल पीछे लिखा गया परन्तु कालान्तर में उसमें परिवर्तन होते रहे। यहाँ तक कि आज यह सब कुछ अस्पष्ट हो गया है और हमारे लिए महाभारत के युद्ध तथा महाभारत नामक ग्रंथ के रचे जाने के समय का निर्णय करना भी असम्भव हो गया है।

यदि वास्तव में महाभारत का युद्ध उपनिषद् तथा सूत्रों के समय से पहले हुआ और असल ग्रंथ भी उससे पहले बना तो फिर इसमे संदेह नहीं कि वर्तमान महाभारत में जितनी बातें उस समय के धर्म से विरुद्ध पाई जाती है वह सब कालांतर में मिला दी गई थीं और वास्तविक ग्रंथकर्ता की लेखनी से नही निकली है।

(11) क्या यह कथा कल्पित है?

बहुत-से पुरातत्त्वज्ञों ने यह सम्मति स्थिर की है कि महाभारत की कथा कल्पित है और इसकी घटनाएँ यथार्थ नहीं हैं। बहुत-से विद्वान् इस युद्ध को तो यथार्थ पर उसके नायको को

  1. गवि युधिभ्या स्थिरः। 8/3/95
  2. स्त्रियाभवन्तिकुन्निकुरुभ्यश्च। 4/1/174
  3. वासुदेवार्जुनाभ्यां वुन्। 4/3/98