पृष्ठ:योगिराज श्रीकृष्ण.djvu/७३

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मथुरा पर मगध देश के राजा जरासंघ का आक्रमण / 73
 


हिन्दुओं का प्रसिद्ध तीर्थ है। यहाँ यादवों ने एक मजबूत दुर्ग बनाया और अपने पहरे चौकी का पूरा प्रबन्ध करके[१] रहने लगे।

 

  1. जब युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण से राजसूय यज्ञ करने का विचार प्रकट किया और आज्ञा माँगी, तो कृष्ण ने कहा कि हे राजन् ! जरासंघ ने यहाँ के सारे राजा-महाराजाओं को जीतकर अपने अधिकार में कर लिया है। बहुतेरी जातियाँ उसके भय से देश छोड़कर भाग गईं हैं। उसकी सेना में अगणित वीर योद्धागण इकट्ठे हो गए है। जब तक तुम उसे नहीं जीत लेते राजसूय यज्ञ नहीं कर सकते। इसी प्रसंग में उन सब युद्धों का वर्णन किया जो उन्होने और उनके वंश वालों ने जरासंध से किये थे और जिनसे व्याकुल होकर अन्त में उन्हे द्वारिका की ओर भागना पड़ा था। इस बातचीत से विदित होता है कि उस समय अकेले यादव वंश में 18 हजार भाई-भतीजे मौजूद थे जो सबके सब शस्त्रधारी और लड़ने-भिड़ने में निपुण थे। इसी बातचीत में श्रीकृष्ण ने कहा कि द्वारिकापुरी के इर्द-गिर्द पहाड़ो का घेरा है जो तीन योजन है। हर एक योजन में 21 छावनियाँ और 100 द्वार बनाए गए थे, जहाँ पर शस्त्रधारी यादव सेना रक्षा के लिए नियत थी।एक योजन चार कोस का होता है।