साथ मेरी गरदन पर भी छुरी चल जाती, जिन्होंने मार खाकर रोने के सिवा और कोई अपराध नहीं किया था।"
विनय-वीरपालसिंह, उन दुष्कृत्यों की चर्चा करके मुझे लजित न करो। अगर उनका कुछ प्रायश्चित्त हो सकता है, तो मैं करने को तैयार हूँ।"
वीरपाल-"सच्चे दिल से?"
विनय-"हाँ, अगर मिस सोफिया की तुमने रक्षा की है।"
वीरपाल-"उन्हें तो आप अभी प्रत्यक्ष देख लेंगे।"
विनय-"तो मैं भी तुम्हें मुआफ कराने का यथासाध्य उद्योग करूँगा।"
वीरपाल-"आप जानते हैं, मैं मिस साहब को क्यों लाया? इसीलिए कि हम उन्हीं की सेवा और सिफारिश से अपनी रक्षा की आशा रखते थे। हमें आपा थी कि मिस साहब के द्वारा हम प्राण-दान पाने में सफल हो जायँगे, पर दुर्भाग्य वश उन्हें हमारे अनुमान से कहीं ज्यादा गहरा घाव लगा था और उसके भरने में पूरे नौ महीने लग गये। अपने मुँह से क्या कहें, पर जितनी श्रद्धा से हमने उनकी सेवा की, वह हमी जानते हैं। यही समझ लीजिए कि मुझे छ महीने तक घर से निकलने का मौका न मिला। इतने दिनों तक जसवंतनगर में नर हत्या और न्याय-हत्या का बाजार गर्म था; रोज-रोज़ की खबरें सुनता था, और माथा ठोककर रह जाता था। मिस साहब को अपनी रक्षा के लिए लाया था। उनके पीछे सारा इलाका तबाह हो गया। खैर, जो कुछ परमात्मा को मंजूर था, हुआ। अब मेरी आपसे यही विनय है कि हमारे ऊपर दयादृष्टि होनी चाहिए। आपको परमात्मा ने प्रभुता दी है। आपके एक इशारे से हम लोगों की जान बच जायगी।"
विनय ने मुक्त हृदय से कहा-"मुझे तो पूर्ण विश्वास है कि दरबार तुम्हारे अपराध क्षमा कर देगा। हाँ, तुम्हें भी यह वचन देना पड़ेगा कि अब से तुम रियासत के प्रति द्रोह-भाव न रखोगे।"
वीरपाल–मैं इसकी प्रतिज्ञा लेने को तैयार हूँ। कुँवर साहब, सच तो यह है कि आपने हमें बिलकुल अशक्त कर दिया। यह आप ही का दमन है, जिसने हमें इतना कमजोर बना दिया। जिन-जिन आदमियों पर हमें भरोसा था, वे सब गा दे गये। शत्रु-मित्र में भेद करना कठिन हो गया। प्रत्येक प्राणी अपनी प्राण-रक्षा के लिए, अपने को निर्दोष सिद्ध करने के लिए, अथवा अधिकारियों का विश्वास-पात्र बनने के लिए हमारी आस्तीन का साँप हो गया। वही मैं हूँ, जिसने जसवंतनगर में सरकारी खजाना लूटा था और वही मैं हूँ कि आज चूहे की भाँति बिल में छिपा हुआ हूँ, प्रतिक्षण यही डर रहता है कि कहीं पुलिस न आ जाय।"
विनय-"मिस सोफ़िया कभी मुझे याद करती हैं?”
वीरपाल–“मिस साहब को आपसे जितना प्रेम है, उसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते। (अपने साथी की ओर संकेत करके) इनके आघात से आपको मिस साहब
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