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रंगभूमि


केवल उद्देश्य है, और वह यह कि क्योंकर हमारा आधिपत्य उत्तरोत्तर सुदृढ़ हो। यही वह गुप्त रहस्य है, जिसको प्रकट करने की मुझे धमकी दी गई है। यह पत्र मुझे न मिला होता, तो मेरी आँखों पर परदा पड़ा रहता और मैं सोफी के लिए क्या कुछ न कर डालता। पर इस पत्र ने मेरी आँखें खोल दी और अब मैं आपकी कोई सहायता नहीं कर सकता, बल्कि आपसे भी अनुरोध करता हूँ कि इस बोलशेविक आंदोलन को शांत करने में रियासत की सहायता कीजिए। सोफी-जैसी चतुर, कार्यशील, धुन की पक्की युवती के हाथों में यह आंदोलन कितना भयंकर हो सकता है, इसका अनुमान करना कठिन नहीं है।"

विनय यहाँ से भी निराश होकर बाहर निकले, तो सोचने लगे, अब महाराजा साहब के पास जाना व्यर्थ है, वह साफ कह देंगे, जब मंत्री और एजेंट कुछ नहीं कर सकते, तो मैं क्या कर सकता हूँ। लेकिन जी न माना, ताँगेवाले को राजभवन की ओर चलने का हुक्म दिया।

नायकराम—"क्या गिटपिट करता रहा! आया राह पर?"

विनय—"यही राह पर आ जाता, तो महाराजा साहब के पास क्यों चलते?"

नायकराम—"हजार-दो हजार माँगता हो, तो दे क्यों नहीं देते? अफसर छोटे हों या बड़े, सभी लोभी होते हैं।"

विनय—"क्या पागलों की-सी बात करते हो! अँगरेजों में अगर ये बुराइयाँ होती, तो इस देश से ये लोग कब के सिधार गये होते। यों अँगरेज भी रिश्वत लेते हैं, देवता, नहीं हैं, पहले-पहल जो अँगरेज यहाँ आये थे, वे तो पूरे डाकू थे, लेकिन अपने राज्य का अपकार करके ये लोग कभी अपना उपकार नहीं करते। रिश्वत भी लेंगे, तो उसी दशा में, जब राज्य को उससे कोई हानि न पहुँचे!"

नायकराम चुप हो रहे। ताँगा राज-भवन की ओर जा रहा था। रास्ते में कई सड़कं, कई पाठशालाएँ, कई चिकित्सालय मिले। इन सबों के नाम अँगरेजी थे। यहाँ तक कि एक पार्क मिला, वह भी किसी अँगरेज ऐजेंट के नाम से संस्कृत था। ऐसा जान पड़ता था, कोई भारतीय नगर नहीं, अँगरेजों का शिविर है। ताँगा जब राजभवन के सामने पहुँचा, तो विनयसिंह उतर पड़े और महाराजा के प्राइवेट सेक्रटरी के पास गये। यह एक अँगरेज था। विनय से हाथ मिलाते हुए बोला-"महाराजा साहब तो अभी पूजा पर है। ग्यारह बजे बैठा था, चार बजे उठेगा। क्या आप लोग इतनी देर तक पूजा किया करता है?"

विनय—"हमारे यहाँ ऐसे-ऐसे पूजा करनेवाले हैं, जो कई-कई दिनों तक समाधि में मग्न रहते हैं। पूजा का वह भाग, जिसमें परमात्मा या अन्य देवतों से कल्याण की याचना की जाती है, शीघ्र ही समाप्त हो जाता है; लेकिन वह भाग, जिसमें योग-क्रियाओं द्वारा आत्मशुद्धि की जाती है, बहुत विशद होता है।"

सेक्रटरी—हम जिस राजा के साथ पहले था, वह सबेरे से दो बजे तक पूजा करता