पृष्ठ:रक्षा बंधन.djvu/१६१

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"हाँ फाटक-वाटक बनवाना चाहिए।"

रोशनी न करेंगे तो---।"

"तो क्या?"

"लोग बुरा मानेगे।"

"और आगे काँग्रेस मिनिस्ट्री भी आ रही है—यह याद रखिये।"

रायबहादुर साहब बोले---"अरे यारो कोई ऐसा डौल नहीं लग सकता कि हमें कांग्रेस एसेम्बली के लिए खड़ा कर दे।"

"इसकी केवल एक तरकीब है।"

"वह क्या?"

"रायबहादुरी का खिताब त्याग दीजिये ओर जयन्ती पर खूब सजावट और रोशनी कीजिए।"

"रायबहादुरी का खिताब त्यागने को बात गलत है।"

"बिना खिताब छोड़े तो कांग्रेस आपको खड़ा नहीं करेगी।"

"कहीं ऐसा न हो कि दोनों दीन से गये पाँड़े न हलवा मिला न माँड़े। खिताब भी छोड़े और एसेम्बली की सीट भी न मिले।"

"हिन्दू सभा की ओर से खड़े होने पर भी खिताब त्यागना पड़ेगा।"

"एक काम कीजिए कि खिताब तो त्याग दीजिए और काँग्रेसियों से मेल बढ़ाइये। प्रयत्न कीजिये---बिना प्रयत्न किए कुछ न होगा।"

"खिताब छोड़ते बड़ा कष्ट होता है।"

"सो तो होता होगा---बड़े कष्ट से मिला भो तो होगा।"

"क्या पूछते हो। न जाने कितना रुपया खर्च हुआ और कितनी दौड़-धूप की गई तब कहीं यह खिताब मिला है।"

"इसमें कोई सन्देह नहीं, परन्तु यदि एम० एल० ए० बना चाहिए तो खिताब छोड़ना ही पड़ेगा।"

"कोई ऐसी तरकीब नहीं निकल सकती कि खिताब न छोड़ना पड़े और एसेम्बली में भी पहुँच जाय।"

"हमारी समझ में तो ऐसी कोई तरकीब नहीं निकल सकती।"