पृष्ठ:रघुवंश (अनुवाद).djvu/२९१

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सत्रहवाँ सर्ग।

चिह्नवाला वह उतना बड़ा मङ्गल-स्थान ऐसा शोभित हुआ जैसा कि कौस्तुभमणि धारण करने से श्रीवत्स, अर्थात् भृगु-चरण, से चिह्नित विष्णु भगवान् का वक्षस्थल शोभित होता है। प्रतिपदा का चन्द्रमा यदि एक बार ही पूर्णिमा का चन्द्रमा हो जाय अर्थात् रेखामात्र उदित होकर वह सहसा पूर्णता को पहुँच जाय—तो जैसे उसकी कान्ति बहुत विशेष हो जायगी वैसेही बाल्यावस्था के अनन्तर ही महाराज—पद पाने से अतिथि की कान्ति भी बहुत विशेष होगई।

राजा अतिथि बड़ा ही हँसमुख था। जब वह बोलता था मुसकरा कर ही बोलता था। उसकी मुखचर्य्या सदा ही प्रसन्न देख पड़ती थी। अतएव, उसके सेवक उससे बहुत खुश रहते थे। उसे विश्वास की साक्षात् मूर्त्ति समझते थे। वह इन्द्र के समान ऐश्वर्य्यशाली राजा था। जिस हाथी पर सवार होकर वह अपनी राजधानी की सड़कों पर निकलता था वह ऐरावत के समान बलवान् था। उसकी पताकायें कल्पद्रुम की बराबरी करने वाली थी। इन कारणों में उसने अपनी पुरी, अयोध्या, का दूसरा स्वर्ग बना दिया। उसके शासन-समय में एक मात्र उसी के सिर पर शुभ्र छत्र लगता था। और राजा को छत्र धारण करने का अधिकार ही न था। परन्तु उसके उस एक ही छत्र ने, उसके पिता कुश के वियोग का सन्ताप, जो सारे संसार में छा गया था, एकदम ही दूर कर दिया। पहले राजा के वियोग-जन्य आतप से बचने के लिए सब को अलग अलग छाता लगाने की ज़रूरत ही न हुई। धुवाँ उठने के बाद आग की लपट निकलती है आर उदय होने के बाद सूर्य्य की किरणें ऊपर आती हैं। जितने तेजस्वी हैं सब का यही हिसाब है—सब के सब, उत्थान होने के पहले, कुछ समय अवश्य लेते हैं। परन्तु, अतिथि ने तेजस्वियों की इस वृत्ति का उल्लङ्घन कर दिया। वह ऐसा तेजस्वी निकला कि गुणों के प्रकाश के साथ ही उसकी तेजस्विता का भी प्रकाश सब कहीं फैल गया। यह नहीं, कि और तेजस्वयों की तरह, पहले उसके गुणों का हाल लोगों को मालूम होता, फिर, उसके कुछ समय पीछे, कहीं उसकी तेजस्विता प्रकट होती।

पुरुषों ही ने नहीं, स्त्रियों तक ने उसे अपना प्रीति-पात्र बनाया। उन्होंने भी उस पर अपनी प्रीति और प्रसन्नता प्रकट की। जिस तरह शरत्काल की रातें निर्म्मल तारों के द्वारा ध्रुव का अनुगमन करती हैं—उसे बड़ी उत्कण्ठा से देखती हैं—उसी तरह अयोध्या की स्त्रियों ने भी अपने प्रीतिप्रसन्न नेत्रों से उसका अनुगमन किया—उसे बड़े चाव से देखा। वे उसे रास्ते में जाते देख देर तक उत्कण्ठापूर्ण दृष्टि से देखा कीं। स्त्रियों की

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