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पृष्ठ:रज़ीया बेगम.djvu/१०६

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(तेरहवां
रज़ीयाबेगम।


की और इस बात पर उसने बहुत जोर दिया कि,-'यह राज़ किसी पर खुलने न पाए; 'मगर याकूब ने उसकी किसी बात का भी जबाव न दिया और वह सुरंग से बाहर होते ही अपने देरे पर पहुंचा।

अपने मकान का ताला खोल कर जब याक ब अन्दर गया तो उसने अपनी खाट पर एक बंद लिफ़ाफ़ा पाया, जिसे उसने तुरंत उठा लिया और उसके अन्दर से एक खत निकाल कर पढ़ा, जिसमें यह लिखा हुआ था,--

शायाश, याकब! शाबाश ! तूने खूब किया, जो बेगम के चकाबू में अपने तई न फंसाया। अज़ीज! तेरी उस दिलेरी, दिया- नतदारो और लियाकत ने मुझे तेरे पाकीज़ा ख़यालात का खूब ही जौहर दिखलाया, जिससे मेरे दिल में तूने अच्छी जगह पाई, जिसका नतीजा तेरे लिये अच्छा ही होगा।"

इस पत्र को पढ़ कर याक ब हैरान हो गया कि;-"यह माजरा क्या है ? ताला बंद का बंद है, और घर के अन्दर ख़त आ मौजूद हुआ!!! अभी बेगम की दिली आयें उसके दिलही में है और इस की खबर किसी गैर के कानों तलक पहुंच गई!!! "