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पृष्ठ:रज़ीया बेगम.djvu/११३

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परिच्छेद)
१०५
रङ्गमहल में हलाहल।


याकूब पाठकों को समझना चाहिए कि अयूब के साथ ज़ोहरा की जो कुछ बातें हुई थीं, अयूब ने याक ब पर जाहिर कर दिया था और वह जगह भी ब को दिखलाई थी, जिसके अन्दर उतरने के लिये ज़ोहरा ने अयूब से बड़ी हुजत की थी। सो याकूब ने वेही सब हालात सौसन से कहे थे और उसने गुलशन को होशियार कर दिया था ! खैर इस बारे में फिर भी लिखा जायगा । हां तो सौसन की बात सुनकर याकूब ने कहा,-

"ख़ैर, तो प्यारी, सौसन! अयूब पर मैं निहायत मुहब्बत रखता हूँ, इस वास्ते मेरा यह फ़र्ज़ है कि पेश्तर मैं अयूब और गुलशन को इस बला से बचाऊ, बाद तुम्हारी या अपनी फ़िक्र करुं।"

इस पर सौसन ने कहा, "बेशक, ऐसाही करना चाहिए।"

फिर इसो बारे में वे दोनों आपस में सलाह करने लगे।


(१४) न०