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पृष्ठ:रज़ीया बेगम.djvu/९१

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परिच्छेद)
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रङ्गमहल में हलाहल।


वहांसे बेगम के चले जाने के थोड़ी ही देर बाद सौसन और गुलशन वहां पर आ पहुंची; जहां पर ज़ोहरा संदली चौकी पर बैठी हुई, बेगम का नैचा पी रही थी। सो आहट पातेहो वह नैचा छोड़ कर उठ खड़ी हुई और उससे सौसन ने पूछा,-

"सर्कार कहां गई?"

जोहरा ने कहा,-" हज्रत ! भला मुझे इस बात की क्या ख़बर है ? मगर हां! आप दोनों जनी के जाने के थोड़ी ही देर बाद न जाने आपही आप के क्या सोच कर उठीं और यह कहती हुई तेजी के साथ महल में चली गईं कि,-" मुझे काश्मीर की सहद की लड़ाई पर गौर करना है; चुनांचे जब तक मैं किसीको न बुलाऊं, आज मेरे पास कोई न आए।"