पृष्ठ:रश्मि-रेखा.pdf/१०४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

रश्मि रेखा रुन झुन-झुन रुन झुन झुनझन-मनुन-अनुन झन रुनुन मनुन शुन रुनुन शुनन औचक मेरे लालन की पॉजनियाँ- अनुक रहीं मरी आँगनियाँ आकर धीरे धीरे ले तू मेरी साजनियाँ ना जानू कस पाया है यह धन अरी पडोसिन सुन । रुन सुन सुन झन रुनुन अनुन | पाँजनियों को खन-खन से तन मन में उठतीं शकृतियाँ ठगी ठगी-सी रह जाती हू लख-लख चरण अलकृतियाँ ६७