पृष्ठ:रश्मि-रेखा.pdf/१०७

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रश्मि रेखा वह सुप्त अश्रुत राग (१) जग गया हाँ जग गया वह सुप्त अश्रत राग मर गया हाँ भर गया हिय में अमल अनुराग खुल गई हॉ खुल गई खिडकी यन की गाज धुल गई हाँ थुल गह संचित हृदय की लाज नेह रंग भर भर खिलाडी न खेल फाग जग गया हाँ जग गया वह सुप्त अश्रात राग । ७९