पृष्ठ:रश्मि-रेखा.pdf/१०९

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रश्मि रेखा नाल नाम मृदुल कामल बाहु बालरिया हुलाकर कठिन सफेताक्षरों को करा निहाल माज लिखवाकर तुम्हारे पूजकों के हृदय की तडपन हुई है सजनि पून काम राग क अनुराग क अब खुल गये है भाग जग गया हाँ जग गया है सुप्त अश्रत राग । ७२