पृष्ठ:रश्मि-रेखा.pdf/१११

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रश्मि रेखा (२) और और ? मत पूछ दिये जा मुह मागे वदान लिये जा तू बस इतना ही कह साकी और पिये जा । और पिये जा।। अलमस्त देखने आय है मधुशाला अब कैसा विलम्ब १ साकी भर-भर ला तन्मयता हाला। तरी यह बडे विकट हम पीने वाले तेरे आए मतवाले समें क्या सोच ? लाज क्या? मर भर ला प्याले पर प्याले हम-से घेष प्यासों से पड़ गया आज तेरा पाला अब फसा बिलम्ब ? साकी भर भर लातू अपनी हाला। (४) दे गर्क नशे में मत आने दे फर्क नशे में ज्ञान थ्यान-पूजा पोथी फट जाने दे वक नशे में । ऐसी पिला कि विश्व हो उठे एक बार तो मतवाला। साकी अब कैसा विलम्ब १ भर-भर ला तमयता हाला ।