पृष्ठ:रश्मि-रेखा.pdf/१२

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वनवास रश्मि रेखा श्रारम्भ करके कवि गीता से प्रत करता है। अग्रेजी मच रूसी जर्मन इ आदि सभी भाषाओं के इतिहास से पता चलता है कि बहुत स एसे ऊ क ाकार हैं जिन्होंने कभी गीत लिख हो नहीं और बहुत से एसे हैं जिहाने गीतों के अतिरिक्ष कुछ नहीं दिखा। संस्कृत भाषा म तो प्रषधा की इतनी भरमार है कि गीतों का साहि य म कोई विशष मय ही नहीं है। मारे चाटी पर के कलाकारों ने प्रबंध ही किये हैं। हिंदी म भी केवल गीत लिखने वाले अथवा केवल प्रबंध जिसने वाले अथवा दोना लिखने वाले शि के लखन इतिहास का क्रम पहल प्रत्यध और फिर गीत नहीं है बहुत मिल जायगे । कविवर मैथिली शरण जी ने भारत भारती कदाचित् अपने सब प्रयध काव्या से पहले लिखी है। बदेही हरिश्रीध जी ने बहुत से गीता के बाद लिखा है। फिर भी पाश्चाय समीक्षका के निकष म अाशिक सय अवश्य है। परतु उसका कारया कहाँ और है । विश्व को समस्त भाषा म जिन कृतिया का सावभौमिक और सर्वकालीन पादर है बार जिहें उदास साहि य (Clasme Literature ) कहते हैं वे अवध के रूप म ही अधिक हैं। प्रधा में वर्णन द्वारा जा विश्व की महान योजना उपस्थित की जाती है उसकी विशाता सकता प्रभवि णुता अनेकार्थता तथा उदास कामना का प्रभाव क्हा मापक और गहन पड़ता है । परतु महाका य को महान योजना और वर्णन चातुर्य के नम्बे तनाव को साधना सर। नह है। उसके पिय अनुभूतिया की अनेकरूपता और भावना को गहनता तो चाहिए ही बुद्धि र कल्पना का विस्तृत प्रयोग भी चाहिए जिससे कथा वस्तु का निस्सार पग्नाचक्र की सजाव चरित्र निर्माण काय चात प्रतियात और अतखत के सहारे एक महान पृष्ठभूमि के भीतर विभिन्न और अनेकार्थी रसा के नाना रगा म चमक मके । ककार का निर्माण कार्य इतना यहद हो जाता है कि उसको बड़ा चौकस और सतत जागरूक रहना पड़ता है । उसके ताने बाने का प्रयेफ सूत्र उसके समक्ष रहता है और कहां कोई भी उलझने नहीं पाता । यह समस्त कार्य को अध्यासाय परि म और जागरूकता की अपेचा करता है जो भायु के उतार में शिथिल चेतना कर नहीं पाती अथवा ऐहिक थकावट के कारण करना भी नहीं चाहतो । अतएव अपनी देन को छोटे-छोटे टुकड़ा म सामने रखती है। ये गीत का रूप ग्रहण करते हैं। गीता के जीवन के अवसान काल में प्रकट होने का सबसे महान कारण यही है। साहित्यिक जीवन का मेरा भी यही अनुभव है। I ३