पृष्ठ:रश्मि-रेखा.pdf/१२३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

रश्मि रेखा सुनो हमारी तो सब ऋए हुई प्रचण्ड निदाघ हाय | हमारे लिये कहो ता क्या फागुन १ मा माघ ? हमारी क्या हाली क्या पाग ? (९) कोई अपना सजन निहारे कोइ खेठे फाग कोई मसले निज हिय स तत अपने अपने भाग । हमारी क्या हाली ? क्या फाग? फभी सबारे थे हमन भी उनके कुतल-युज वे सस्मरण आज आये हैं बनकर काले नाग कहा ? अब क्या होली? क्या फाग? अपना मधुमय स्नह' भस्म कर बैठे हैं हम आज हमसे क्या हाली का नाता ! हम आए सब याग हमारी क्या होली? क्या फाग? उनने अपना नाता तोडा छोडी अपनी बान टूट चुके हैं प्राण पर भी छूटे सब जप जाग कहो अब क्या हाली? क्या फाग? ८६