पृष्ठ:रश्मि-रेखा.pdf/१२५

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रश्मि रेखा आ जा, रानी विस्मृति, आ जा आ जा रानी विस्मृति आ जा मेरे इन मचले स्मरणों का आकर आज सुला जा जा जा रानी विस्मति आ जा। मेरे इस जीवन पलने में पड़ी काल की डोरी इसमें बैठे कई संस्मरण करत है परजोरी पल-पल मचल मचल करते हैं मेरी माखन चोरी तू आ इन बालक स्मरणों को पलने म दुरा जा आ जा रानी विस्मति आ जा। 22