पृष्ठ:रश्मि-रेखा.pdf/१२६

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मेरे स्मरण निरे बचे है भोले अलबेले है हिय की अलित आग से हनने सदा खेल खेले है इनके मारे मैने अहनिशि अमित कष्ट झेले है इनको थपकी देकर कुछ लोरियाँ सुना जा-- आ जा रानी विस्मृति मा जा। अब यदि न सुला तू सकी किसी विधि ये सस्मरण सलौने तो चिनगारियाँ फैल जाएगी घर के कोने-कोने । आग लगा लेंगे पलने में ये अति चचल छौने इसीलिये कहता हू तू आ निदिया बनकर छा जा आ जा रानी विस्मृति आ जा। (४) मैंने बहुत कहा है इनसे विगत न साचा भाइ मत सोचो पिय की मोहकता उनकी सुघड निकाई पर मेरी बाता को सुनकर आती इहें सलाई ले तू ही आकर अब इनका सब झगडा निपटा जा आजा रानी विस्मति आ जा।